कैसे की जाती चूड़ा और कलीरे पहनने की रसम जानें?
शादी की बात करें तो बहुत-सी रस्में होती है, जिसमें दूल्हा और दुल्हन के परिवार में कई रस्में होती है जो वह अपने-अपने रीति-रिवाज के साथ करते है। तो आज हम ऐसी ही एक रस्म की बात करेंगे जो दुल्हन के शृंगार के लिए की जाती है। उस रस्म का नाम है चूड़ा और कलीरे पहनने की रसम।
चूड़ा और कलीरे पहनने की रसम की जाती है यह तो सब को पता है, लेकिन कैसे की जाती है वह कुछ लोग नहीं जानते, तो आइये जानते है इस रसम के बारे में।
पहले के समय में 'हाथीदांत' से बनी चूड़ियों को शुभ माना जाता था। इस चूड़े की कीमत भी सामान्य चूड़े से ज्यादा थी। हालांकि अब चूड़े प्लास्टिक की चूड़ियों से बने होते हैं। चूड़ा आजकल कई प्रकार और पैटर्न में उपलब्ध है।
लड़की को उसके मामा की ओर से चूड़ा चढ़ाया जाता है। इसे पहनाने के दौरान दुल्हन की आंखें बंद रखी जाती हैं। बाद में चूड़े को कपड़े से कवर कर दिया जाता है। इसके साथ ही कलीरे भी पहना दिए जाते है।
शादी के करीब सवा महीने बाद या 1 साल बाद दुल्हने अपने-अपने रीति-रिवाजों से चूड़ा उतारती है और इसे संभाल कर रखती हैं। यह संस्कार अभी भी प्रचलित है।