केदारनाथ धाम के साथ ये चार स्थान कहलाते हैं पंच केदार, जानिए
www.likhti.com Apr 20, 2024
‘पंच-केदार’ भगवान शिव को समर्पित पाँच पवित्र जगहें हैं। यह भारत के उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित हैं। पौराणिक मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव भगवान शिव से अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए यहाँ तप करने आए थे।
स्वगोत्र हत्या के दोषी पांडवों को भगवान शिव दर्शन नहीं देना चाहते थे। शिव जैसे ही महिष (भैंस) का रूप धारण कर धरती में समा रहे थे वैसे ही भीम ने उन्हें पहचान कर पीठ के ऊपरी हिस्से को आधे जमीन में समाया हुआ पकड़ लिया था। फिर शिव ने उनको दर्शन देकर पापों से मुक्त किया था। शिव के भाग पूरे गढ़वाल क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर स्थापित हैं।
केदारनाथ धाम
पंच केदार में सबसे पहले आता है केदारनाथ धाम। बैल की पीठ की आकृति-पिंड रूप में भगवान शिव केदारनाथ मंदिर में पूजे जाते हैं। समुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर रुद्रप्रयाग जिले में है। केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में भी शामिल हैं।
मध्यमेश्वर धाम
इसके बाद द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 11470 फीट की ऊंचाई पर चौखंभा शिखर की तलहटी में स्थित है। जहां बैल रूप में भगवान शिव के मध्य भाग के दर्शन होते हैं।
तुंगनाथ धाम
तृतीय केदार तुंगनाथ - तुंगनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 11349 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसको दुनिया का सबसे ऊंचे शिव मंदिर माना गया है। तुंगनाथ में भगवान शिवजी की भुजाओं की पूजा होती है।
रुद्रनाथ धाम
चतुर्थ केदार रुद्रनाथ - भगवान रुद्रनाथ चमोली जिले में समुद्रतल से 11808 फीट की ऊंचाई पर एक गुफा में स्थित है। बुग्याल के बीच गुफा में भगवान शिव के मुख दर्शन में होते हैं। भारत में यह अकेला स्थान है, जहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है।
कल्पेश्वर धाम
पंचम केदार कल्पेश्वर - कल्पेश्वर धाम समुद्रतल से 2134 मी. की ऊंचाई पर चमोली जिले में है। यहां वर्षभर शिव के जटा रूप में दर्शन होते हैं। इनमें से चार केदार शीतकाल में बंद रहते हैं जबकि पंचम केदार कल्पेश्वर वर्षभर खुला रहता हैं।
यात्रा पूरी करने के बाद आप अंत में बद्रीनाथ मंदिर जाकर भगवान विष्णु की भी पूजा कर सकते हैं। यह जगह केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य से करीब 150 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह रास्ता सुंदर नज़ारों, वन्य जीवन समेत कई अद्भुत जगहों से होकर गुज़रता है। यात्रा की शुरुआत ऋषिकेश से होती है।
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