बैसाखी वाले दिन दर्शन करें श्री आनन्दपुर साहिब के, जहां खालसा पंथ की स्थापना हुई थी
www.likhti.com Apr 09, 2024
बैसाखी का त्योहार अप्रैल महीने में हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस महीने में रबी की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है। इसीलिए बैसाखी को फसल पकने के रूप में मनाया जाता है।
यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं। बैसाखी वाले दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है सिख लोग इसे नववर्ष के तौर पर भी मनाते हैं।
बैसाखी का सिखों के लिए क्या महत्व है?
सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी, तभी से बैसाखी मनाई जाती है। इस दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने "खंडे बट्टे दी पाहुल" के साथ तैयार किया गया "अमृत" पीलाकर "पंज प्यारे" को सजाया था। बैसाखी का सिखों के लिए क्या महत्व है?
वह 'पंच प्यारे' भाई दया सिंह, भाई धर्म सिंह ,भाई हिम्मत सिंह, भाई मोहकम सिंह और भाई साहब सिंह के नाम से जाने जाते हैं। नगर कीर्तन के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब जी की पालकी के आगे इन 'पांच प्यारों' को सजाया जाता है।
इसलिए आनन्दपुर साहिब सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। तख्त श्री केसगढ़ साहिब है, जो सिख धर्म के पाँच तख्तों में से है। बैसाखी वाले दिन पंजाब के सभी गुरुद्वारों को सजाया जाता है।
बैसाखी वाले दिन आप श्री आनन्दपुर साहिब दर्शन करने ज़रूर जाए और विरासत-ए-खालसा Virasat-e-Khalsa भी ज़रूर देखें।