Meenakari Jewellery Information in Hindi मीनाकारी आभूषण की जानकारी हिंदी में
जानें क्यों है मीनकारी ज्वेलरी इतनी खास?
मीनाकारी का नाम ‘मीनू’ से बना है, जिसका फ़ारसी में अर्थ है — देवलोक या स्वर्ग, और ‘मीना’ का अर्थ हुआ स्वर्ग का नीला रंग। मीनाकारी एक बहुत ही अद्भुत कला है, जिसे ज्वेलरी में उकेरा जाता है। भारतीय ब्राइड्स के लिए यह बहुत खास जगह रखती है।
कहते हैं हर महिला को आभूषण पहनना बहुत पसंद होता है। क्योंकि आभूषण हर महिला की लुक में चार चांद लगा देता है। वहीं जब भारतीय ज्वेलरी की बात आती है, तो उनका इतिहास भी भारत देश की तरह ही प्राचीन है। आपने बहुत-सी महिलाओं को अक्सर शादी विवाह या किसी खास अवसर पर कलरफुल बोहेमियन ज्वेलरी को स्टाइल करते देखा होगा? क्या आपको पता है इस ज्वेलरी को मीनाकारी ज्वेलरी कहते हैं और यह राजस्थान की एक पुरानी और पारंपरिक ज्वेलरी है। जो बहुत ही खास है।
भारतीय दुल्हनें भी इस ज्वेलरी को अपने आउटफिट के साथ स्टाइल करने के लिए जानी जाती है। इसकी बारीक तकनीक जो ज्वलेरी को एक रॉयल और एलिगेंट टच देती है, अपने आप में खास है। आइए मीनाकारी आभूषण की जानकारी आपको इस आर्टिकल में बताएं-
मीनाकारी क्या है? What is Meenakari Jewellery?
मीनाकारी डिजाइनिंग मूल रूप से कलर्ड एनेमल के साथ ज्वेलरी में कोट या एन्ग्रेव की जाती है। इसके लिए कई अलग तरह के मेटल का उपयोग किया जा सकता है जिसमें पीतल, तांबा, चांदी और सोना शामिल हैं। गहनों में आमतौर पर लोकप्रिय डिजाइन है जानवरों की मूर्तियाँ या देवी-देवताओं की छवियां या फूल पत्तियां आदि होती है। इसके पीछे विचार एक तस्वीर का रूप देना है। विभिन्न विषयों और अवसरों को खूबसूरती से व्यक्त करने और इसे उत्तम रूप देने के लिए मीनाकारी गहनों का उपयोग किया जाता है। यह मीनाकारी तकनीक की सबसे प्रशंसित विशेषताओं में से एक है जो इसे दूसरों से अलग और खास करती है।
मीनाकारी आभूषणों की शैलियां
मीनाकारी आभूषण के विभिन्न शैलियां समय के साथ विकसित हुई हैं, और यह सोने के साथ रंगों का मिलन है, जो एक-दूसरे को जोड़ते भी हैं और अलग भी करते हैं।
खुला मीना
मीनाकारी आभूषण की इस शैली में प्रकृति में आमतौर पर पाए जाने वाले 4 रंगों — लाल, नीला, हरा और सफेद का बहुत खूबसूरती से आपस में तालमेल बैठाया जाता है। ख़ुला मीना को अलग-अलग तरह के डिज़ाइनों और मोटिफों को बनाने के लिए पीले सोने पर रंगीन तामचीना यानी मीना की एक पतली-सी परत लगाई जाती है। इस्तेमाल की गई तामचीनी पारभासी होती है, यही वजह है कि सोने की चमक से हर रंग चमकता है।
बंद मीना
खुल मीना के विपरीत, बंद मीना शैली में पीले सोने के आधार पर अपारदर्शी तामचीनी की मोटी परत लगाई जाती है। यह तामचीनी सोने के आधार को ढंक देती है, लेकिन सोने के फ्रेम उघड़े होते हैं, जिनमें रंगों को बहुत ही आकर्षक, बहुत ही बारीकी से भरा जाता है। मीनाकारी आभूषणों की इस शैली में बहुत ही कलात्मक ढंग से उन रंगों को जोड़ा जाता है, जो अन्य रंगों को मिलाकर बनाए जाते हैं, जैसेकि तोतिया, गुलाबी और फ़िरोज़ी रंग।
पंचरंगा मीना
रंगों की कलात्मक पैलेट यानी पंचरंगा, पांच रंगों को मिलाकर बनाई जाती है, जिनमें से तीन रंग सफेद, लाल और हरे होते हैं और दो रंग नीले रंग के दो शेड होते हैं। पांच अलग-अलग तामचीनी रंगों का यह संयोजन पंचरंगा मीना की एक बहुत ही सुस्पष्ट अभिव्यक्ति होता है। आभूषणों की इस मीनाकारी शैली में शुद्ध सोने की किनारी आकर्षण को बढ़ा देती है और बाकी के सभी पांच रंगों को मुखर कर देती है। पंचरंगा मीना की चीजों की चमक किसी भी पोशाक, कार्यक्रम या अवसर को रौशन कर सकती है।
गुलाबी या बनारसी मीना
गुलाबी मीना वाराणसी (बनारस) से आई मीनाकारी आभूषण की मार्के की शैली है और यह आपके आभूषणों की ज़रूरतों को पूरा करने का काम करती है। जहां गुलाबी मीना में गुलाबी रंग तामचीनी डिजाइन का मुख्य रंग होता है, वहीं इसके चारों ओर पैटर्न को पूरा करने के लिए अन्य रंगों को इस्तेमाल किया जाता है।
मीनाकारी का इतिहास क्या है?
इस अद्भुत आर्ट की उत्पत्ति पर्शिया में हुई थी, जिसके बाद मुगल आक्रमणकारियों द्वारा इसे भारत लाया गया। मीनाकारी आभूषण काफी देशी शैली के आभूषण थे, जो भारत में मेवाड़ के राजा मान सिंह के कारण लोकप्रिय हुए।
शुरुआती दौर में राजा मान सिंह ने इसे अपने चित्रों और दरबार समारोहों के में दिखाना शुरू किया था। इसी के बाद 16वीं शताब्दी में जयपुर के बाजार में मीनाकारी के आभूषणों की मांग बढ़ गई।
लाहौर के शिल्पकारों, जिन्हें मेवाड़ के राजा मान सिंह द्वारा भारत लाया गया था, ने मीनाकारी के आभूषणों की मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए जयपुर और उसके आसपास अपना बेस स्थापित किया और फिर इनके डिजाइन्स को तैयार किया गया।
कहां पर पॉपुलर है यह ज्वेलरी?
वैसे तो मीनाकारी आभूषणों की मांग पूरे देश में है, लेकिन जयपुर में 16वीं शताब्दी से मीनाकारी आभूषणों का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, राज्य के कुछ हिस्से दुनियाभर में मीनाकारी आभूषणों के उत्पादन और व्यापार में प्रमुख हैं।
यह जानना दिलचस्प है कि सोने में बने मीनाकारी आभूषण ज्यादातर जयपुर, दिल्ली और बनारस के क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जबकि चांदी में की गई मीनाकारी सबसे ज्यादा बीकानेर, उदयपुर और नाथद्वारा शहरों में की जाती है। मीनाकारी के आभूषणों की शीशे की एनामेलिंग प्रतापगढ़ के क्षेत्र से आती है, इसकी सस्ती कीमत के लिए अत्यधिक मांग है।
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